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हिमाचल का बढ़ाया मान.. चांगों किन्नौर की बेटी छोंजिन अंगमो नेगी को एवरेस्ट फतह करने पर गृह मंत्री ने किया सम्मानित, लेकिन हिमाचल सरकार ने की अनदेखी

चांगों किन्नौर

हिमाचल की बेटी छोंजिन अंगमो नेगी का ऐतिहासिक कारनामा: एवरेस्ट शिखरारोहण के बाद गृह मंत्री से सम्मान, लेकिन हिमाचल सरकार ने की अनदेखी

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के चांगो गांव की रहने वाली दृष्टिबाधित महिला छोंजिन अंगमो नेगी ने मई 2025 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तिरंगा फहराकर इतिहास रच दिया। आठ वर्ष की उम्र में दृष्टि खोने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और कई अन्य चोटियों को फतह करने के बाद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर विजय प्राप्त की। यह उपलब्धि उन्हें विश्व स्तर पर केवल पांच दृष्टिबाधित व्यक्तियों में से एक बनाती है, जो एवरेस्ट पर पहुंचे हैं। उनकी यह सफलता दृढ़ता और समावेशिता की मिसाल पेश करती है।

छोंजिन अंगमो नेगी, जो यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में कर्मचारी हैं, ने एवरेस्ट शिखरारोहण के लिए अपने नियोक्ता का विशेष धन्यवाद दिया। बैंक ने उनकी यात्रा का समर्थन किया, जिससे यह सपना साकार हो सका। उन्होंने कहा, “मेरा पहला विचार था कि हर कदम महत्वपूर्ण है, चाहे व्यक्ति सक्षम हो या विशेष आवश्यकता वाला। यह मेरे सपने का एक कदम है, जो हर विशेष आवश्यकता वाले व्यक्ति में इच्छाशक्ति जगाने का लक्ष्य रखता है।”

हाल ही में छोंजिन अपने पैतृक गांव चांगो लौटीं, जहां ग्रामीणों ने हृदय से उनका स्वागत किया। गांव वालों ने पारंपरिक तरीके से उन्हें सम्मानित किया और उनकी उपलब्धि पर गर्व महसूस किया। लेकिन दुखद रूप से, स्थानीय सरकारी निकायों और हिमाचल प्रदेश सरकार ने उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि को नजरअंदाज कर दिया। न तो कोई आधिकारिक समारोह आयोजित किया गया और न ही कोई सम्मान प्रदान किया गया, जिससे कई लोगों में निराशा व्याप्त है।

हालांकि, 14 सितंबर 2025 को एक सकारात्मक मोड़ आया, जब सम्माननीय गृह मंत्री अमित शाह ने छोंजिन को पुरस्कार से नवाजा। इस समारोह में छोंजिन ने कहा कि यह सम्मान उनके संघर्ष को मान्यता देता है और वे इसे सभी दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए प्रेरणा के रूप में लेंगी। गृह मंत्री ने उनकी बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि छोंजिन जैसी बेटियां देश का गौरव बढ़ाती हैं।

छोंजिन की यात्रा प्रेरणादायक है। चांगो जैसे आदिवासी गांव से निकलकर, जहां संसाधनों की कमी है, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर्स किया और माउंटेनियरिंग में प्रशिक्षण लिया। मनीली के अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से बेसिक कोर्स करने के बाद उन्होंने लद्दाख की कई चोटियां और सियाचिन ग्लेशियर को फतह किया। 2024 में उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

यह उपलब्धि न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। छोंजिन ने हेलन केलर को अपना आदर्श बताया, जिनकी कहानी ने उन्हें प्रेरित किया। स्थानीय सरकारों से अपेक्षा की जा रही है कि वे ऐसी प्रतिभाओं को अधिक समर्थन दें, ताकि दिव्यांगजन भी मुख्यधारा में आ सकें।

T.Dongbra chango

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